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पटना हाईकोर्ट ने पूर्व रजिस्ट्रार संजय कुमार की बर्खास्तगी को अवैध करार दिया, तत्काल बहाली का आदेश

Photo Source : Google

Posted On:Saturday, February 15, 2025

पटना न्यूज डेस्क: पटना हाईकोर्ट ने भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के पूर्व रजिस्ट्रार संजय कुमार की बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए तत्काल बहाल करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि संजय कुमार को बिना किसी पूर्व सूचना और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए हटाया गया था, जो पूरी तरह असंवैधानिक है। कोर्ट ने यह भी माना कि उनकी जगह नियुक्ति पाने वाली डॉ. अपराजिता कृष्णा इस पद के लिए आवश्यक योग्यता नहीं रखती थीं।

संजय कुमार, जो पहले बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार थे, को 20 जून 2024 को एक आधिकारिक आदेश के तहत पद से हटा दिया गया था और उनकी जगह डॉ. अपराजिता कृष्णा को नियुक्त कर दिया गया था। इस फैसले को चुनौती देते हुए संजय कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना और सुनवाई के हटाया गया, जो प्रशासनिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है। इसके साथ ही उन्होंने अपराजिता कृष्णा की नियुक्ति को भी अवैध बताया, क्योंकि वह इस पद के लिए आवश्यक योग्यता पूरी नहीं करती थीं।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पाया कि डॉ. अपराजिता कृष्णा की नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 की धारा 15 के नियमों के तहत नहीं की गई थी। कोर्ट ने इस पर भी आपत्ति जताई कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की बजाय एकतरफा निर्णय लिया गया। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि नियुक्ति प्रक्रिया में एक पैनल से योग्य उम्मीदवारों के नाम मंगवाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

इस मामले में राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति को लेकर भी बहस छिड़ गई। बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर यह अनुरोध किया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के निर्देश को वापस लिया जाए। सरकार का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सरकारी अधिकारियों को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से बुलाना केवल विशेष परिस्थितियों में ही जरूरी होता है, और इस मामले में इसकी आवश्यकता नहीं थी।

सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट में दलील दी कि यदि अधिकारी की उपस्थिति आवश्यक हो, तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसे विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए। इस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार की दलीलों को सुनने के बाद एकलपीठ को निर्देश दिया कि वह इस मामले में उचित निर्णय ले। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में पारदर्शिता की कमी और गलत प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए संजय कुमार को पुनः बहाल करने का आदेश बरकरार रखा।


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